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परमहंस माँ ललिता देवी गर्ग

102 वर्षीया हृदयवासिनी परमहंस माँ ललिता देवी गर्भ जिनके जीवन का मूल आधार श्रीमद्भगवद्गीता रही है आध्यात्मिक विरासत से श्रीसम्पन्न माताजी ने अपना पूरा जीवन पीड़ित मानवता के कल्याण के लिए समर्पित कर दिया था

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102 वर्षिया स्व. माँ ललिता देवी गर्ग

ऐसी पुण्यात्मा की अक्षय्य - पुण्य स्मृति में सर्वसुविधायुक्त आत्याधुनिक वृक्षाश्रम, आयुर्वेदा एवं प्राकृतिक, अस्पताल, कथा कुंज, सुन्दर और मनोरम पार्क श्री कैलाश मानसरोवर महायात्रा में प्राप्त ओमकार शिवलिंग जिसमें प्राकृतिक रूप से ॐ उभरा हुआ है एवं परमहंस माँ ललिता देवी के भव्य ! दिव्य ! और अतिमनभावन मंदिर के निर्माण की सुखद परिकल्पना है

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माँ ललिता देवी का ज्योर्तिमय दिव्य जीवन दर्शन !

आत्मदर्शी माताजी का जीवन सभी इच्छा - आकांक्षाओं से रहित, पीड़ित मानवता को समर्पित था ! ईश्वरीय आराधना, सात्विक चिंतन एवं दिव्य ज्योर्तिमय पवित्र अंतःकरण एवं समग्र जीवन हम सभी के लिए कल्याणकारी एवं प्रेरणा - स्त्रोत है.

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परमहंस मां ललितादेवी धाम वेबसाइट पर आपका स्वागत है

"सुखद जीवन की राह लोक से परलोक तक की सरल!सहज!सुखद यात्रा में आपका हार्दिक अभिनंदन"

प्रिय आत्मीयजन, वर्तमान परिवेश में संकुचित होतीं पारिवारिक अवधारणाऐं, सार्वजनिक जीवन में नैतिक मूल्यों के ह्रास आदि से हमारा समग्र जीवन अज्ञानतावश अज्ञात भय से ग्रसित होता जा रहा है अतः छल-कपट, पाखंड, आदि से कोसों दूर हम जीवन की सीधी-सच्ची, सरल और मनोहारी राह पर चलने दृढ़ संकल्पित हैं!आप यहां पाएंगे-
  • अनुभूति पूर्ण सकारात्मक जीवन शैली
  • सनातन धर्म और संस्कृति का सत्यम् शिवम् सुन्दरम् का व्यावहारिक स्वरूप
  • सरल, सहज, सुखद आनंददायी जीवन की राह
  • समयानुसार सभी सार्थक विचार विनिमय
विश्वास है “सर्वजन हिताय:सर्वजन सुखाय” की विश्वबन्धुत्व की पवित्र भावनाओं को समर्पितः रमहंस मां ललितादेवी:संवाद मंच” से एक बार जुड़ने के बाद आप चाह कर भी दूर नहीं हो पाऐंगे.

मां ललितादेवी के बारे में

माताजी का धार्मिक जीवन दर्शन पूरव, पश्चिम, उत्तर और दक्षिण सहित सम्पूर्ण भारत वर्ष के प्रधानतीर्थो चारोंधाम, द्वादश ज्योर्तिलिंग मोक्षदायिनी सप्तपुरियों सहित तिरूपति बालाजी गंगा, यमुना, सरस्वती से लेकर गंगा सागर तक सभी यात्राऐं माताजी ने पूर्णतः समर्पित भाव से सम्पन्न कीं!

दीर्घकालिक जीवन की महायात्रा - 102 वर्ष

सौ - सौ वसंतों से वंदित और अभिनंदित माँ ललिता देवी अर्ज ने 102 वर्षों की अपनी सुदीर्घ जीवन की महायात्रा में हम सभी को अनवरत् सर्वसौभाग्य का आशीष मिलता रहा

बाल अपने आप काले होते गये

पुर्नजन्म की अवधारणा को साकार किया अकल्पनीय आर्यजनक परिवर्तन होने लगा ! 100 वर्षों बाद बालपन की इस दीर्घकालीक जीवन की महायात्रा में माताजी के जीवन में प्रत्यक्षत: पुनरावृत्ति की कहावत को जीवित कर दिखाया ! 102 वर्षों में माताजी के बाल पूर्णत: काले एवं घने हो गये, जैसे उनकी डाई की गई हो.

अद्भुद नेत्रज्योति : प्रत्यक्षः किं प्रमाणं

102 वर्षों की इस माहायात्रा में माताजी को कभी भी चश्मा नहीं लगा और ना ही उनकी आँखों का कोई ऑपरेशन हुआ! पास और दूर की नेत्रज्योति अंतिम समय तक विलकुल ठीक रही

माताजी की आध्यात्मिक विरासत

जितेन्द्रिय माताजी सदैव भगवान का मनन चिंतन कर अपने सौभग्य में निरंतर वृद्धि कर प्रत्यक्षत: मोक्षमार्गी हो गयीं थीं! अपना जीवन पीड़ित मानवता को समर्पित करने वाली माताजी के श्री चरणों सभी को असीम शांति प्राप्त होती थी ।

एक नजर समाचार पत्रों पर

आचार्य प्रवर द्वारा माताजी का सम्मान माताजी के अनगिनत शुभचिंतक और समर्पित सेवाभावी उनका दर्शन, पूजन और आशीर्वाद लेकर धन्य होते रहे.

जन्मशताब्दी अमृत महोत्सव

जन्मशताब्दी अमृत महोत्सव ताँ ललिता देवी जन्मशताब्दी अमत – महोत्सव चिरंजीची परंपरा का प्रतिनिधित्व करते हुए ललिता देवी गर्ग का 24 अक्टूबर 2016 को जन्म शताब्दी अमृत महोत्सव पूरी भव्यता और गरिमा से मनाया गया

परमहंस माता ललितादेवी धाम का भूमि पूजन

आचार्य प्रवर द्वारा माताजी का सम्मान माताजी के अनगिनत शुभचिंतक और समर्पित सेवाभावी उनका दर्शन, पूजन और आशीर्वाद लेकर धन्य होते रहे.

जगत गुरु शंकराचार्य स्वामी श्री अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती 1008 के द्वारा परम हंस माता ललिता धाम का भूमि पूजन एवं कार्यारंभ

जगत गुरु शंकराचार्य स्वामी श्री अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती 1008 के द्वारा परम हंस माता ललिता धाम का भूमि पूजन एवं कार्यारंभ का सीधा प्रसारण। दानकर्ता श्री धीरेन्द्र -ममता गर्ग जी के द्वारा दान किये हुए भूखंड पर 1008 छात्रों के लिये देश के पहले जगतगुरुकुलम का निर्माण कार्य का शुभारंभ एवं भूमि पूजन